कारक की परिभाषा और उसके प्रकार
कारक शब्द का अर्थ
है: – करने वाला अर्थात क्रिया
को पूरी तरह करने में किसी न किसी भूमिका को निभाने वाले शब्द को कहते है
दूसरे शब्दों
में- संज्ञा अथवा सर्वनाम को क्रिया से जोड़ने वाले चिह्न अथवा परसर्ग ही कारक
कहलाते हैं।
जैसे- ''रामचन्द्रजी ने खारे जल के समुद्र पर बन्दरों
से पुल बँधवा दिया।''
संज्ञा या
सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसे कारक कहते है
कारक के प्रकार
कारक के सात
प्रकार के है
कर्ता ने
कर्म को
करण से (द्वारा)
सम्प्रदान के लिए
अपादान से
सम्बन्ध का, की, के
अधिकरण में, पर
सम्बोधन हे, अरे
कर्ता के 'ने' चिह्न का प्रयोग:- कर्ताकारक की
विभक्ति 'ने' है। बिना विभक्ति के भी कर्ताकारक का प्रयोग
होता है। 'अप्रत्यय कर्ताकारक'
में 'ने' का प्रयोग न होने के कारण
वाक्यरचना में कोई खास कठिनाई नहीं होती
कर्ता के 'ने' विभक्ति-चिह्न का प्रयोग कहाँ नहीं होता ?
'ने' विभक्ति का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में
नहीं होता है।
वर्तमान और
भविष्यत् कालों की क्रिया में कर्ता के साथ 'ने' का प्रयोग नहीं
होता।
जैसे- राम जाता
है। राम जायेगा।
कर्म कारक– संज्ञा या
सर्वनाम के जिस रूप पर कर्त्ता द्वारा की गई क्रिया का फल पड़ता है अर्थात् जिस
शब्द रूप पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्ता कारक कहते हैँ
करण कारक:-जिसके द्वारा क्रिया होती है, उसे करण कारक
कहते हैं। करण कारक के विभक्ति चिह्न 'से, द्वारा' हैं। जैसे-कलम से पत्र लिखा है।
मेरे द्वारा
कार्य हुआ है।
सम्प्रदान कारक:-जिसके लिए क्रिया की जाती है अथवा जिसे कोई
वस्तु दी जाती है, वहाँ सम्प्रदान
कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'के लिए' और 'को' हैं।
जैसे-भूखे के लिए रोटी
लाओ।
अपादान कारक:-जहाँ एक संज्ञा का दूसरी संज्ञा से अलग होना
सूचित होता है, वहाँ अपादान कारक
होता है। इसका विभक्ति चिह्न 'से' है।
जैसे-पेड़ से पत्ते
गिरे।
सम्बन्ध कारक:- जहाँ एक संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरी
संज्ञा या सर्वनाम से सूचित होता है, वहाँ सम्बन्ध कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न का, की, के; रा, री, रे; ना, नी, ने हैं। जैसे-
राम का लड़का,
श्याम की लड़की, गीता के बच्चे।
अधिकरण कारक:- जहाँ कोई संज्ञा या सर्वनाम किसी अन्य संज्ञा
या सर्वनाम का आधार हो, वहाँ अधिकरण कारक
होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'में, पर' हैं।
जैसे-महल में दीपक जल
रहा है।
सम्बोधन कारक:- जहाँ पुकारने, चेतावनी देने या ध्यान आकर्षित करने के लिए किसी को
सम्बोधित किया जाता है, वहाँ सम्बोधन
कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न 'हे, अरे, अजी' हैं।
जैसे-अरे मोहन! इधर
आओ।
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